धर्मेंद्र कुमार
आईपीएल-2 खत्म हो गया। अपने पहले संस्करण की तरह शुरू से ही चर्चित रहे इंडियन प्रीमियर लीग-2 को इस बार 'इंडिया' में आयोजित नहीं किया गया। कुछ जटिलताओं के चलते आयोजन को इस बार देश से बाहर दक्षिण अफ्रीका में कराया गया।
शुरू से ही विश्लेषकों में यह विचार मंथन चल रहा था कि देश से बाहर मैच कराने से क्या नफा-नुकसान होंगे। लोगों ने अपनी-अपनी राय दी! यहां एक बानगी...
लोगों का मानना है कि इस बार के टूर्नामेंट में खेल का स्तर बहुत बढ़िया रहा। दरअसल अनावश्यक उत्तेजना से माहौल खराब होता है। एशिया उपमहाद्वीप के लोगों में ऐसे समय गजब की उत्तेजना देखी जाती है। इसका सीधा असर खिलाड़ियों के प्रदर्शन और खेल की भावना पर पड़ता है। पिछली बार के आयोजन में श्रीसंत और हरभजन सिंह के बीच हुई मारपीट की घटना इसी का परिणाम थी। कम से कम अबकी बार ऐसी कोई घटना देखने को नहीं मिली।
लोगों का तो यहां तक मानना है कि आईपीएल सहित दूसरी क्रिकेट की स्पर्धाएं भी देश से बाहर ही होनी चाहिए। इससे न केवल देश की ब्रांड इमेज को फायदा होगा, बल्कि इसके राजनीतिक फायदे भी उठाए जा सकते हैं। खासकर वेस्ट इंडीज, कनाडा जैसे देशों में इस तरह की भारतीय प्रतिस्पर्धाओं को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इससे दूसरे देशों के साथ भारतीय समुदाय और मजबूती से जुड़ेगा। व्यापार को अलग से फायदा होगा।
सुरक्षा भी एक बड़ा मुद्दा है। इस नजर से देखें तो कुछ छोटे देश इस तरह के आयोजनों के लिए पूरी तरह मुफीद हैं। जहां तक बात वहां क्रिकेट के पॉपुलर होने या न होने की है तो आज लाइव टेलीविजन का जमाना है। मैच क्रिकेट प्रेमियों से छूटेगा नहीं।
इस बार इस प्रतियोगिता के साथ ही भारत में चुनाव भी हुए। यदि यह आयोजन भारत में हुआ होता तो संभवत: इसका सीधा-सीधा असर मतदान पर भी पड़ता। मतदान प्रतिशत में कमी होने की पूरी संभावना थी। भीषण गर्मी के चलते वैसे ही मतदाताओं को घर से निकालना मुश्किल हो रहा था, उस पर ड्रॉइंग रूम में क्रिकेट का मैच...आप समझ सकते हैं। भौगोलिक स्थिति का भी फायदा मिला। भारतीय समयानुसार मैच देर शाम को ही हुए।
एक खास बात यह भी है कि ऐसे आयोजनों के चलते होने वाली गंदी खेल राजनीति को इस बार जबर्दस्त धक्का लगा। मैदान से बाहर खेलने वाले 'खिलाड़ियों' को ज्यादा मौका नहीं मिला। पूरा टूर्नामेंट शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गया। नेताओं, पुलिस, पत्रकारों और वीआईपी का तमगा लगाए दूसरे लोगों को मुफ्त के टिकट बांटने से भी आयोजक बच गए।
इसी दौरान, विद्यार्थियों को परीक्षाओं की तैयारी करने का भी पूरा मौका मिला। अन्यथा वे कुछ और समय जरूर बर्बाद करते। हालिया घोषित नतीजे इस तथ्य की पुष्टि भी करते हैं।
आखिर में एक और तथ्य...एक सज्जन की रोचक टिप्पणी थी कि इस बार हम अपना समय बचाते हुए द. अफ्रीकियों का समय बर्बाद करने में पूरी तरह सफल साबित हुए हैं। आगे भी इस प्रकार के आयोजन दूसरे देशों में ही होने चाहिए।
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