धर्मेंद्र कुमार
चुनावी दंगल शुरू हो चुका है। नेताओं की गरमागरम भाषणबाजी भी शुरू हो गई है। जहां प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने प्रतिद्वंद्वी पूर्व उप-प्रधानमंत्री भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी पर जमकर अपना गुबार निकाला वहीं आडवाणी ने उन्हें अब तक का सबसे 'कमजोर' और 'मजबूर' प्रधानमंत्री घोषित कर दिया। पढ़े
Wednesday, March 25, 2009
Monday, March 16, 2009
जब धर्म की करोगे बात तो काहे की धर्मनिरपेक्षता
धर्मेंद्र कुमार
भारत को एक धर्मनिरपेक्ष देश माना जाता है। संविधान की प्रस्तावना में लिखा है कि भारत एक पंथनिरपेक्ष देश है। इन दोनों में अंतर क्या है? बताइए! आमतौर पर नेताओं द्वारा पंथनिरपेक्ष को धर्मनिरपेक्ष के रूप में पेश किया जाता रहा है। यहां तक कि सामाजिक बोलचाल में पंथनिरपेक्षता ही धर्मनिरपेक्षता हो चली है। इन दोनों में अंतर क्या है यह एक बड़ा सवाल है। जिसपर चर्चा की जाए तो बात कहीं और चली जाती है।
चलिए! इस उलझन में सिर-फुटव्वल करने से पहले जरा सोचिए... क्या वाकई इस बहस की जरूरत है।
चुनाव होने वाले हैं...सभी नेता अपनी ढपली के साथ अपना राग सुना रहे हैं। अपने हिसाब से नई परिभाषाएं गढ़ रहे हैं। टारगेट सीधा वोट है, वो दे दो उनको... कैसे भी। इसके बाद अगले पांच साल तक वो ही वो हैं हर जगह...बेचारा वोटर कहीं नहीं। उसका नंबर तो पांच साल बाद ही आना है। पढ़ें
भारत को एक धर्मनिरपेक्ष देश माना जाता है। संविधान की प्रस्तावना में लिखा है कि भारत एक पंथनिरपेक्ष देश है। इन दोनों में अंतर क्या है? बताइए! आमतौर पर नेताओं द्वारा पंथनिरपेक्ष को धर्मनिरपेक्ष के रूप में पेश किया जाता रहा है। यहां तक कि सामाजिक बोलचाल में पंथनिरपेक्षता ही धर्मनिरपेक्षता हो चली है। इन दोनों में अंतर क्या है यह एक बड़ा सवाल है। जिसपर चर्चा की जाए तो बात कहीं और चली जाती है।
चलिए! इस उलझन में सिर-फुटव्वल करने से पहले जरा सोचिए... क्या वाकई इस बहस की जरूरत है।
चुनाव होने वाले हैं...सभी नेता अपनी ढपली के साथ अपना राग सुना रहे हैं। अपने हिसाब से नई परिभाषाएं गढ़ रहे हैं। टारगेट सीधा वोट है, वो दे दो उनको... कैसे भी। इसके बाद अगले पांच साल तक वो ही वो हैं हर जगह...बेचारा वोटर कहीं नहीं। उसका नंबर तो पांच साल बाद ही आना है। पढ़ें
Sunday, March 15, 2009
Saturday, March 07, 2009
फंसते जा रहे हैं मंदी के चक्रव्यूह में!
धर्मेंद्र कुमार
बाजार की मंदी ने लोगों की जोरदार पिटाई लगाना शुरू कर दिया है। बाजार गिरता जा रहा है। नौकरियां छूटती जा रही हैं। और सरकार...! वह लगातार हाथ-पैर मार रही है और 'फल' नजर नहीं आ रहा है।
विशेषज्ञ मान रहे हैं कि जब तक बाजार में आत्मविश्वास नहीं लौटता कुछ भी कहा नहीं जा सकता। अभी तक यह महसूस किया जा रहा था कि भारत पर मंदी का वह असर नहीं पड़ेगा जो दुनिया के दूसरे बड़े देशों पर पड़ा है। लेकिन, अब लगने लगा है कि आने वाले समय में हमारा देश भी इसके प्रकोप से अछूता नहीं रहेगा। आर्थिक मंदी की तपिश ने हमें भी झुलसाना शुरू कर दिया है...पढें
बाजार की मंदी ने लोगों की जोरदार पिटाई लगाना शुरू कर दिया है। बाजार गिरता जा रहा है। नौकरियां छूटती जा रही हैं। और सरकार...! वह लगातार हाथ-पैर मार रही है और 'फल' नजर नहीं आ रहा है।
विशेषज्ञ मान रहे हैं कि जब तक बाजार में आत्मविश्वास नहीं लौटता कुछ भी कहा नहीं जा सकता। अभी तक यह महसूस किया जा रहा था कि भारत पर मंदी का वह असर नहीं पड़ेगा जो दुनिया के दूसरे बड़े देशों पर पड़ा है। लेकिन, अब लगने लगा है कि आने वाले समय में हमारा देश भी इसके प्रकोप से अछूता नहीं रहेगा। आर्थिक मंदी की तपिश ने हमें भी झुलसाना शुरू कर दिया है...पढें
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