धर्मेंद्र कुमार
स्पॉट फिक्सिंग के ताजातरीन मामले ने क्रिकेट को एक और जोर का झटका दिया है। इस बार इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हुए हैं।
इंडिया टीवी चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में पांच खिलाड़ी पैसे लेकर मनमाफिक तरीके से खेलने के लिए तैयार होते दिखे हैं।
इससे इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट की छवि को तो धक्का पहुंचा ही है वहीं इसका आयोजन करने वाली भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के सामने भी फिक्सिंग के आरोपों को गलत साबित करना एक चुनौती बन गया है।
मामला संसद में भी उठा है। समाजवादी पार्टी के सांसद शैलेंद्र कुमार ने इस मुद्दे को उठाया और भारतीय जनता पार्टी के कीर्ति आजाद सहित कई अन्य सदस्यों ने उनका समर्थन किया।
हर बार की तरह इस मामले में भी शामिल खिलाड़ी अपने आपको बेकसूर बता रहे हैं। दूसरी ओर, खेल मंत्री अजय माकन ने बीसीसीआई से इस मामले को जल्दी सुलझाने की बात कही है।
बीसीसीआई अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन और आईपीएल कमिश्नर राजीव शुक्ला पहले ही दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की बात कह चुके हैं।
इस बार के स्टिंग ऑपरेशन में मनमाफिक खेलने की बात के अलावा कुछ नई बातें भी सामने आई हैं। जैसे कि चैनल ने दावा किया है कि खिलाड़ी अपनी फ्रेंचाइजी टीमों से बीसीसीआई द्वारा तय मानकों से अलग हटकर धन का लेनदेन भी कर रहे हैं। इस स्टिंग ऑपरेशन को यदि सच मान लिया जाए तो ज्यादातर फ्रेंचाइजी टीमें तय मानकों से अधिक धन खिलाड़ियों को दे रही हैं। इससे खेल के साथ-साथ देश को भी योजनाबद्ध तरीके से नुकसान पहुंचाया जा रहा है। जबकि क्रिकेट के खेल को देशभक्ति और जुनून की भावनाओं से भी जोड़ा जाता रहा है। खेल प्रेमियों के लिए इससे बड़ा धोखा क्या होगा कि जिस जुनून और जज्बे के साथ वे खेल देखने जा रहे हैं उसका परिणाम पहले से ही फिक्स किया जा चुका है।
इसके अलावा, अभी तक ऐसा माना जाता था कि टेस्ट, वनडे और ट्वेंटी-20 के मैचों पर ही स्पॉट फिक्सिंग का साया है, लेकिन इस बार प्रथम श्रेणी के मैचों पर फिक्सिंग का साया दिखा। कई उदीयमान क्रिकेटर नोबॉल फेंकने के लिए 40 हजार से लेकर 10 लाख रुपये तक मांगते हुए दिख रहे हैं।
कुछ खिलाड़ियों की इस हरकत से उन्हें फौरी तौर पर थोड़ा फायदा जरूर हो सकता है लेकिन ऐसा करके वह खेल की भावना और भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
बीसीसीआई, हालांकि हालातों का जायजा लेने के लिए काफी मेहनत कर रहा है लेकिन ऐसी घटनाओं से क्रिकेट खेल का नुकसान लगातार बढ़ रहा है। देश में बीसीसीआई और दुनिया में आईसीसी को इसपर अब गंभीरता से सोचने की जरूरत है। ताकि इस तरह की घटनाओं पर रोक लग सके।
स्पॉट फिक्सिंग के ताजातरीन मामले ने क्रिकेट को एक और जोर का झटका दिया है। इस बार इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हुए हैं।
इंडिया टीवी चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में पांच खिलाड़ी पैसे लेकर मनमाफिक तरीके से खेलने के लिए तैयार होते दिखे हैं।
इससे इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट की छवि को तो धक्का पहुंचा ही है वहीं इसका आयोजन करने वाली भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के सामने भी फिक्सिंग के आरोपों को गलत साबित करना एक चुनौती बन गया है।
मामला संसद में भी उठा है। समाजवादी पार्टी के सांसद शैलेंद्र कुमार ने इस मुद्दे को उठाया और भारतीय जनता पार्टी के कीर्ति आजाद सहित कई अन्य सदस्यों ने उनका समर्थन किया।
हर बार की तरह इस मामले में भी शामिल खिलाड़ी अपने आपको बेकसूर बता रहे हैं। दूसरी ओर, खेल मंत्री अजय माकन ने बीसीसीआई से इस मामले को जल्दी सुलझाने की बात कही है।
बीसीसीआई अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन और आईपीएल कमिश्नर राजीव शुक्ला पहले ही दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की बात कह चुके हैं।
इस बार के स्टिंग ऑपरेशन में मनमाफिक खेलने की बात के अलावा कुछ नई बातें भी सामने आई हैं। जैसे कि चैनल ने दावा किया है कि खिलाड़ी अपनी फ्रेंचाइजी टीमों से बीसीसीआई द्वारा तय मानकों से अलग हटकर धन का लेनदेन भी कर रहे हैं। इस स्टिंग ऑपरेशन को यदि सच मान लिया जाए तो ज्यादातर फ्रेंचाइजी टीमें तय मानकों से अधिक धन खिलाड़ियों को दे रही हैं। इससे खेल के साथ-साथ देश को भी योजनाबद्ध तरीके से नुकसान पहुंचाया जा रहा है। जबकि क्रिकेट के खेल को देशभक्ति और जुनून की भावनाओं से भी जोड़ा जाता रहा है। खेल प्रेमियों के लिए इससे बड़ा धोखा क्या होगा कि जिस जुनून और जज्बे के साथ वे खेल देखने जा रहे हैं उसका परिणाम पहले से ही फिक्स किया जा चुका है।
इसके अलावा, अभी तक ऐसा माना जाता था कि टेस्ट, वनडे और ट्वेंटी-20 के मैचों पर ही स्पॉट फिक्सिंग का साया है, लेकिन इस बार प्रथम श्रेणी के मैचों पर फिक्सिंग का साया दिखा। कई उदीयमान क्रिकेटर नोबॉल फेंकने के लिए 40 हजार से लेकर 10 लाख रुपये तक मांगते हुए दिख रहे हैं।
कुछ खिलाड़ियों की इस हरकत से उन्हें फौरी तौर पर थोड़ा फायदा जरूर हो सकता है लेकिन ऐसा करके वह खेल की भावना और भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
बीसीसीआई, हालांकि हालातों का जायजा लेने के लिए काफी मेहनत कर रहा है लेकिन ऐसी घटनाओं से क्रिकेट खेल का नुकसान लगातार बढ़ रहा है। देश में बीसीसीआई और दुनिया में आईसीसी को इसपर अब गंभीरता से सोचने की जरूरत है। ताकि इस तरह की घटनाओं पर रोक लग सके।
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