Wednesday, December 17, 2008

सिर्फ हैं 24 घंटे, कुछ और दे मेरे मौला!

धर्मेंद्र कुमार
आपने गौर किया होगा कि जब किसी से यह पूछा जाए कि तुमने फलां काम निपटा लिया तो अक्सर जवाब मिलता है...अरे यार! भूल गया...टाइम ही नहीं मिला...पूरे दिन जाने क्या-क्या करता रहा...ये 'काम' नहीं कर पाया!

कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों होता है?

चलिए! आज इसी समस्या पर विचार करते हैं...

अच्छा बताइए...अपनी 70 साल की औसत आयु को एक आदमी अमूमन कैसे बिताता है? यहां 'कैसे' से मतलब है कि वह अपने पूरे जीवन के दौरान रोजाना की गतिविधियों पर कुल कितना टाइम खर्च करता है।

अब तक हुए शोधों के अनुसार विशेषज्ञों ने इस संबंध में कुछ तथ्य खोजे हैं। इनके अनुसार तकरीबन 70 साल तक जीने वाला एक व्यक्ति करीब 25 साल सोने में, छह साल बीमार होने में, सात साल छुट्टियां गुजारने में, पांच साल ख्याली पुलाव पकाने में, चार साल खाने-पीने में तथा तीन साल इधर से उधर आने-जाने में बिता देता है। देख लीजिए...कोई ढंग का काम करने के लिए हमारे पास मात्र 12 साल बचते हैं।

एक तरह से देखें तो हममें से हरेक को प्रकृति की ओर से एक बराबर 24 घंटों का ही समय मिला हुआ है। इसी समयावधि में हमें अपने निजी प्रदर्शन के चलते सफलताएं प्राप्त करनी होती हैं। अब बात आती है कि सफलता प्राप्त करने के लिए इस समय का सही ढंग से इस्तेमाल कैसे करें... तो इसके लिए, दिन की शुरुआत, किए जाने वाले कामों की लिस्ट अर्थात महत्वपूर्ण कार्यों को पहले व कम महत्व के कामों को उनके बाद किया जाना तय करने से की जा सकती है। बात सीधी सी है कि परिणाम पर निगाह हो न कि व्यस्तता पर।

ज्यादातर लोग अपने दिन को फालतू की गतिविधियों में बिता देते हैं और वे अपने जीवन से थोड़ा ही साध्य प्राप्त कर पाते हैं क्योंकि वे सही चीजों पर एकाग्रचित्त ही नहीं होते हैं। इसकी सही गणना 'पैरेटो सिद्धांत' के द्वारा की जाती है। इसके अनुसार आधे-अधूरे मन से किए गए किसी प्रयास का 80 फीसदी, मात्र 20 फीसदी ही परिणाम देता है। और, शेष 80 फीसदी परिणाम केवल 20 फीसदी प्रयासों से ही मिल सकता है।

हम उचित समय प्रबंधन व योजना बनाकर जहां तक संभव हो सके अधिक एकाग्रता के साथ प्रयास करने का संकल्प कर सकते हैं। उचित समय प्रबंधन के लिए कौन-सी चीजें महत्वपूर्ण हैं यह निश्चित किया जाना जरूरी है। अपने कार्य समय में वृद्धि किया जाना भी बहुत जरूरी है। क्योंकि, ऐसा न किए जाने पर अनावश्यक तनाव ही पैदा होता है। हमें हमेशा अपने आप से यह पूछना चाहिए कि इस समय मेरे समय का महत्वपूर्ण उपयोग क्या है? यह हमें महत्वपूर्ण कार्यों पर ध्यान लगाने में मदद करता है।

बहुत से लोग जानते हैं कि वे क्या करना चाहते हैं लेकिन उनके पास कठिन परिश्रम के अलावा इसे प्राप्त करने के लिए कोई क्रमबद्ध योजना नहीं है। हमारी सालाना कार्य योजना की प्रतिदिन समीक्षा और हमें मिली सफलता के हिसाब से इसका पुनर्निर्धारण होना चाहिए। यह व्यक्तिगत और व्यावसायिक- दोनों उद्देश्यों के लिए किया जाना चाहिए।

समस्याएं तो हरदम आती ही हैं लेकिन अच्छी योजनाओं की कीमत समस्या को शीघ्रता से पहचानने और हल खोजने से आंकी जाती है। क्योंकि, हम इसे माप सकते हैं और नियंत्रित भी कर सकते हैं।

यहां इतना याद रखना जरूरी है कि हमारे पास हर दिन उतने ही घंटे हैं जितने जॉर्ज वॉशिंगटन, मदर टेरेसा, आइंस्टीन, लिओनार्डो द विंसी या महात्मा गांधी के पास थे और आज कोंडालिजा राइस, अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, नारायण मूर्ति राव और एपीजे अब्दुल कलाम के पास हैं।

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