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14 मार्च साल 2002 में लॉन्च होने के बाद मीडियाभारती डॉट कॉम ने अपनी सात साल की यात्रा में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। कई महत्वपूर्ण साथी इसके साथ जुड़े, कुछ अब तक जुड़े हैं, कुछ का साथ छूट गया, लेकिन यात्रा चलती रही। इस नए वर्जन के जारी होने के समय आज जब पीछे मुड़ के देख रहा हूं तो इससे जुड़ी कई यादें मुझे उद्वेलित कर रही हैं।
मुझे याद आ रही वो शाम जब हम कई पत्रकारिता के छात्र आगरा में पत्रकारिता गुरु बृज खंडेलवाल के घर इस बात पर विचार कर रहे थे कि आखिरकार ‘नौकरी’ कैसे मिले। हम विचार कर रहे थे कि नए छात्रों पर भरोसा करने वाले, उन्हें प्रोत्साहित करने वाले लोग बहुत कम हैं। जो हैं वे किसी भी प्रकार की मदद करने में सक्षम नहीं हैं, तो फिर क्या किया जाए... बात में बात चली तो पहुंची ‘मीडियाभारती डॉट कॉम’ तक। बृज खंडेलवाल (जिनके जेहन में शब्द ‘मीडियाभारती डॉट कॉम’ सबसे पहले आया) बोले, ‘क्यों न अपना खुद का पोर्टल लॉन्च किया जाए। मुद्दा भी यही...कि सभी संघर्षरत पत्रकारिता के छात्र मिलकर यहां योगदान दें और करें अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन। जगाएं अपने आप में आत्मविश्वास और जुटें इस समाज के निर्माण में।'
बात जम गई और जन्म हुआ ‘मीडियाभारती डॉट क़ॉम’ का। तकनीकी और डिजायनिंग पक्ष संभालने की जिम्मेदारी सौंपी गई हमारे ही एक और शिक्षक विकास दिनकर पंडित को। उन्होंने करीब 10 दिन में पोर्टल का खाका तैयारकर काम शुरू कर दिया। तब से मैं खंडेलवाल जी को इस पोर्टल का ‘पिता’ और दिनकर जी को इस की ‘मां’ मानता हूं।
आप कह सकते हैं कि बच्चे को जन्म देने के बाद जरूरत थी उसको घर लाकर लालन-पालन करने की। मेरे साथ ये भूमिका निभाई मेरी दिवंगत पत्नी रश्मि गुप्ता ने। जो ‘सपना’ उन्हें मैंने दिखाया वह उन्होंने खुली आंखों से देखा। ...और मीडियाभारती डॉट क़ॉम ने अपनी यात्रा शुरू कर दी। 27 जून 2007 को उनकी मृत्यु के बाद एक बार तो मुझे लगने लगा था कि अब यह ‘यात्रा’ समाप्त हो जाएगी। लेकिन मेरे कुछ पुराने और कुछ बिल्कुल नए दोस्तों ने जो हौसला अफजाई की, वह इस रूप में मेरे सामने आएगी कभी सोचा भी न था…।
अब मैं जिक्र करूंगा मीडियाभारती डॉट कॉम में समाविष्ट उन नए तत्वों का जो पिछले संस्करण में नहीं थे। शुरुआत करते हैं लोगो से...इसमें अक्षर ‘एम’ पिछले लोगो से ही लिया गया है। जो हमें हमारे पुराने संघर्ष की याद दिलाता रहेगा।
पाठकों को सरल नेविगेशन मुहैया कराने के लिए तीन मीनू रखे गए हैं। पहले, टॉप मीनू में दूसरे संस्करणों के लिए लिंक, हमसे संपर्क करने के लिए व्यवस्था तथा विषयवस्तु सर्च करने की सुविधा दी गई है। दूसरे, मुख्य मीनू में सभी आवश्यक सेक्शन जैसे समाचार, संपादकीय, सिनेमा, टेलीविजन, फैशन, ऑटोमोबाइल, स्वास्थ्य, जीवन, टेक गुरु, विविधा, चुटकुले, नई किताबें, महिला और करियर आदि दिए गए हैं।
तीसरा मीनू केवल रजिस्टर्ड पाठकों के लिए है। साथ ही कम बैंडविथ वाला इंटरनेट कनेक्शन रखने वाले लोगों के लिए साइट को सुविधाजनक रूप से देखने के लिए सेक्शन ‘ब्लॉग’ रखा गया हैं। इस सेक्शन के जरिए साइट में मौजूद पूरी विषय सामग्री को पढ़ा जा सकता है। लेकिन, रचना में मौजूद फोटो आदि इस सेक्शन में नहीं देखे जा सकते हैं।
साइट के मुख्य भाग में सबसे पहले नवीनतम रचनाएं, साथ में सबसे ज्यादा पढ़ी गई रचनाएं रखी गई हैं। इसके तुरंत बाद मुख्य रचना तथा साथ मे दो अन्य रचनाएं रखी गई हैं। खास बात यह है कि इस बार पाठक रचना को पढ़ने के साथ-साथ उसे रेटिंग भी दे सकते हैं। इसके अलावा, रचना को पीडीएफ फॉर्मेट में देखा जा सकता है, उसका प्रिंट लिया जा सकता है, और यही नहीं इसे अपने दोस्तों को भेजा भी जा सकता है। प्रत्येक रचना के साथ उससे संबंधित अन्य रचनाओं के लिंक्स भी दिए जाएंगे। ताकि पाठक रचना से संबंधित अन्य मौजूद जानकारी हासिल कर सकें।
रजिस्टर्ड पाठकों को आने वाले समय में साइट के कुछ अन्य फीचर देखने को मिलेंगे। कंटेंट सिंडीकेशन के लिए RSS वर्जन 0.91, 1.0 और 2.0; एटम 0.3 और OPML की सुविधा हमारे पाठकों को मिलेगी। इस सुविधा की मदद से आप साइट पर किसी भी अपडेट की जानकारी तुरंत अपने कंप्यूटर पर ले सकते हैं। यही नहीं, इसकी मदद से आप अपने ब्लॉग या फेसबुक प्रोफाइल पर साइट कंटेंट को तुरंत देख सकते हैं।
साइट के दायीं ओर नवीनतम घटनाओं के विडियो प्रदर्शित किए जाएंगे। विडियो के ठीक नीचे विभिन्न मॉड्यूल बनाए गए हैं। इनमें आपको इंटरनेट पर मौजूद स्वनामधन्य चेहरों द्वारा रचित आलेख, फोटो गैलरी और विशेष आलेख देखने और पढ़ने के लिए मिलेंगे।
पाठकों द्वारा किसी खास विषय पर अपना मत देने के लिए मतदान की व्यवस्था की गई है। इसके ठीक नीचे आप देख सकते हैं कि इस समय कितने पाठक साइट पर मौजूद हैं।
बहुत ज्यादा संख्या में विज्ञापनों से होने वाली परेशानी से बचने के लिए इसके लिए केवल दो मॉड्यूल रखे गए हैं। सभी विज्ञापन इन्हीं मॉड्यूलों में दिखाए जाएंगे।
साइट के नए रंग रूप को आपके सामने लाने में करीब दो महीने की अथक मेहनत में मेरे कई दोस्तों ने मेरी अविस्मरणीय मदद की है। लोगो डिजायनिंग और रंग संयोजन में मेरी मदद मेरे खास दोस्त विवेक रस्तोगी और आरती वर्मा ने की है। शेष डिजायनिंग और विष्यवस्तु के लिए मैं अपने दोस्त सुनील कुमार सीरीज, वंदना वर्मा, राजीव मिश्रा, आशुतोष भारद्वाज, रविकांत और कनिका शर्मा के योगदान को नजरंदाज नहीं कर सकता। मेरी एक और दोस्त पूनम शर्मा का भी मैं शुक्रगुजार हूं जिनके लगातार उलाहनों की वजहों से मैं इस काम में जुटा रहा।
और हां...मेरी मां का रात में जागकर मेरे लिए दूध और चाय की लगातार व्यवस्था करना, मेरे पापा का बार-बार जागकर सोने के लिए जोर डालना और मेरी तीनों बेटियों का काम के समय लगातार विघ्न डालना मैं कभी नहीं भूल सकता!
शुभकामनाओं सहित
धर्मेंद्र कुमार
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