इतनी बार कहा है कि पाकिस्तान से संबंध सुधारने के लफड़े में मत पड़ो। जब भी 'पड़ोगे' ऐसे ही 'ठुकोगे'...। संबंध सुधारे जाते हैं 'चुनी' हुई सरकार से और पाकिस्तान में असल सत्ता है वहां की आर्मी। जैसे ही 'बेचारे' पाकिस्तानी नेता बात 'बनाने' की कोशिश भी करते हैं तो वहां आर्मीवाले 'एक्टिव' हो जाते हैं...। अब कर लो बात...। तो फिर 'सॉल्युशन' क्या है...? भाई, आर्मी का सॉल्युशन तो आर्मी ही हो सकती है। या तो 'आक्रमण' न करते हुए अपना 'बचाव' करते रहो। या फिर 'उड़ा' ही दो...।
जो 'गलती' अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी और रिटर्न गिफ्ट 'कारगिल' मिला था, वो ही गलत नरेंद्र मोदी कर रहे हैं और 'रिटर्न गिफ्ट' ले रहे हैं।
कांग्रेस वाले जब जब भी सरकार में आते हैं वे पाकिस्तान से बातचीत के लफड़े में 'कम' ही पड़ते हैं। सचिव स्तर वगैरह की बैठकें होती रहती हैं। कोई भी कांग्रेसी पीएम कभी भी पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने में 'अतिरिक्त उत्सुक' नहीं दिखा। इसके उलट, बीजेपी का हर प्रधानमंत्री पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारकर 'स्टेट्समैन' बनने की 'फिराक' में रहता है और हर बार 'धोखा' खाता है...।
(सभी फोटो इधर-उधर से ऐसे ही उठा लिए हैं। सबका आभार...)
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