Tuesday, July 14, 2015

साल 1948-49 और हमारे 'ताऊजी'



दौलतराम गुप्ता
साल 1948-49...। देश में आजादी की ताजी-ताजी हवा...। अवागढ़ रियासत में पड़ने वाले एक गांव का किसान मालगुजारी अदा करने 'देर' से पहुंचा तो राजा के कारिंदे ने लकड़ी की छड़ी मुंह पर दे मारी। चेहरे पर घाव लिए घर पहुंचने पर 20-22 साल के करीब छह फुट लंबे बेटे ने पूछा कि यह क्या 'लगा' है...? पिता ने सच्चाई बयां की तो बेटे ने आव देखा न ताव... और पहुंच गया कारिंदे के पास...। कारिंदा कहीं जाने के लिए घोड़े पर चढ़ रहा था। बेटे ने उसका पांव पकड़कर नीचे खींच लिया और अपना जूता निकालकर ...दे दनादन दे...। हक्का बक्का कारिंदा तत्काल समझ ही नहीं पाया कि ये हुआ क्या...। कारिंदे को लगभग मरणासन्न हालत में छोड़कर घर लौटे उस युवक को हफ्ते-दो-हफ्ते तक छुपा-छुपाकर रखना पड़ा। गांव के लोगों का कहना है कि उसके बाद उस 'कारिंदे' की कभी किसी से दुर्व्यवहार करने की हिम्मत नहीं पड़ी। उसे शायद यह समझ आ गया था कि देश की 'तस्वीर' बदल रही है... 'तौर-तरीके' बदल रहे हैं...। आज हमारे 'ताऊजी' नहीं रहे... पापाजी याद कर रहे हैं...

No comments:

All Rights Reserved With Mediabharti Web Solutions. Powered by Blogger.