धर्मेंद्र कुमार
दुबई की बिन खादिम कंपनी के तेल वाहक जहाज अल वतूल पर तैनात कराए गए नौ भारतीय युवकों का अभी तक कोई अता-पता नहीं है। थक हारकर परिजनों ने अहमदाबाद हाईकोर्ट की शरण ली है। परिजनों का कहना है कि सरकार और आरोपी सी-हॉर्स अकादमी इस मामले में ढिलाई बरत रहे हैं।
लापता नाविकों में से एक भूपेंद्र सिंह के पिता राजेंद्र सिंह चौधरी द्वारा गत 24 मार्च को सी-हॉर्स अकादमी ऑफ मर्चेंट नेवी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के बाद अदालत ने 29 जून को मामले की सुनवाई की।
मामला कुछ इस तरह है कि वलसाड के भूपेंद्र सिंह, जयपुर के विकास चौधरी, भूमराम रूंदला और रतिराम जाट (दोनों भाई), रांची के अमित कुमार, लुधियाना के जितेंद्र सिंह, भिवानी के विक्रम सिंह, रेवाड़ी के नरेंद्र कुमार, महाराष्ट्र के प्रकाश जाधव तथा अलीगढ़ के श्रवण सिंह ने हैदराबाद स्थित इस मर्चेंट नेवी प्रशिक्षण संस्थान में प्रवेश लिया था। कोर्स के दौरान ही ऑन बोर्ड ट्रेनिंग और नौकरी का वादा किए जाने के चलते इन छात्रों को एजेंटों के जरिए दुबई की बिन खादिम कंपनी के तेल वाहक जहाज अल वतूल पर तैनाती करा दी गई। युवकों ने अपने परिजनों को बताया था कि वे शारजाह से ईरान तेल के आयात-निर्यात करने वाले जहाज पर तैनात हैं। पिछले साल माह फरवरी के अंतिम सप्ताह में ये लोग शारजाह के लिए रवाना हुए और अप्रैल तक ये लोग अपने परिजनों से संपर्क करते रहे। बाद में पता लगा कि अल वतूल जहाज को ईरानी कोस्टल गार्ड ने अपने कब्जे में ले लिया है। ज्यादा छानबीन की गई तो पता चला कि जहाज रास्ता भटककर ईरानी सीमा में चला गया और जहाज पर तैनात सभी कर्मियों को तस्करी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है।
15 मई, 2010 को इनमें से एक युवक श्रवण सिंह की मौत हो गई।
लापता नाविकों के परिजनों ने बंदर अब्बास स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास से संपर्क किया। लेकिन आश्वासनों के अलावा कोई खास मदद नहीं मिली।
इस संबंध में सभी लापता नाविकों के परिजन अभी तक राष्ट्रपति प्रतिभादेवी सिंह पाटिल और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद की गुहार लगा चुके हैं।
पिछले दिनों जंतर-मंतर पर अनशन भी किया जा चुका है। लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है।
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