Thursday, March 18, 2010

नया साल... बधाइयां!

16 मार्च से नव संवत् 2067 प्रारंभ हो चुका है। ढेरों शुभकामनाएं... मुख्यत: चलन तो अंग्रेजी कैलेंडर का ही है लेकिन शुभ काम शुरू करने के लिए अभी भी ज्यादातर लोग हिंदी कैलेंडर का सहारा लेते हैं। लोगों ने नए साल की शुभकामनाएं दीं तो मेरी आठ साल की बेटी उरु ने प्रश्नवाचक निगाहों से मुझे देखा। क्योंकि अभी तक उसका सामना एक जनवरी से ही हुआ था...। हालांकि अब वह जान गई है कि यह भी एक नया साल है... यदि यही नया साल हो तो भी कोई हर्ज नहीं। फरीदाबाद के सेक्टर 31 से दीपक अग्रवाल ने यह कविता भेजी है। कविता पढ़िए और नए साल का मजा लीजिए...एक बार फिर से बधाइयां...
---धर्मेंद्र कुमार

नई उमंगे नई आशाएं

अंधकार में कर उजियारा

स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा



दुनिया से आतंक मिटाएं

सभी शांति के दीप जलाएं

आतंक जग में जो फैलाते

उनको कहीं न मिले सहारा

स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा



खेतों में फिर सोना बरसे

रोज़गार के अवसर निकलें

चहुंओर विकास की राह बनें

बह खुशियों की जीवन धारा

स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा



स्व निर्भर हम तभी बनेंगे

लक्ष्य सामने कमर कसेंगे

आपस में अब नहीं लड़ेंगे

सदा करें भारत जयकारा

स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा...

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