Friday, February 12, 2010

बुद्धिमता और प्रकाश के प्रतीक- शिव

आज महाशिवरात्रि का पर्व है। देशभर में ‘बम-बम भोले’ की गूंज हो रही है। न जाने कहां से मनीष मित्तल ने इस पर्व के बारे में कुछ जानकारी भेजी है। आप अपना ज्ञानवर्धन कर सकते हैं। आपको ढेर सारी शुभकामनाएं...

---धर्मेंद्र कुमार

शिवरात्रि हिन्दू कैलेन्डर के अनुसार फाल्गुन महीने की अमावस्या में मनाई जाती है जो कि अंग्रेजी कैलेन्डर के हिसाब से मार्च में होती है। शिवरात्रि के दिन लोग व्रत रखते हैं और सारी रात मन्दिरों मे भगवान शिव का भजन होता है। सुबह भगवान शिव के भक्त शिवलिंग पर जल चढ़ाने जाते हैं। शिवरात्रि को महिलाओं के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। महाशिवरात्रि के उत्सव पर महिलाएं अपने पति और पुत्र के लिए शुभकामनाएं करती हैं। लड़कियाँ अच्छे पति की कामना में भगवान शिव का पूजन करती हैं।

सुबह होने पर लोग गंगा में या खजुराहो के शिवसागर तालाब में स्नान करना पुण्य समझते हैं। भक्त सूर्य, विष्णु और शिव की पूजा करते हैं। शिवलिंग पर पानी या दूध चढ़ाते हैं।

रामायण में शिवभक्तों की कथा इस प्रकार कही गई है कि एक बार राजा भागीरथ अपना राज्य छोड़कर ब्रह्मा के पास गए और प्रार्थना की कि हमारे पूर्वजों को उनके पापों से मुक्त करें और उन्हें स्वर्ग में भेज स्थान दें। वह गंगा को पृथ्वी पर भेजें जो उनके पूर्वजों को इस बन्धन से छुड़ा सकती है और सब पाप धो सकती है। तब ब्रह्मा ने उसकी इच्छा पूरी की और कहा कि आप शिव को प्रार्थना करें वह ही गंगा का वेग संभाल कहते है। गंगा शिव की जटाओं पर उतरी उसके बाद पृथ्वी पर आई।

पानी चढ़ाना, मस्तक झुकाना, लिंग पर धूप जलाना, मन्दिर की घण्टी बजाना यह सब अपनी आत्मा को सतर्क करना है कि हम इस संसार के रचने वाले का अंग हैं।

शिव के नृत्य ताण्डव नृत्य की मुद्राएँ भी खूब दर्शनीय होती हैं। नृत्य में झूमने के लिए लोग ठंडाई पीते हैं।

पुराणों में बहुत सी कथाएँ मिलती हैं। एक कथा है कि समुद्र मंथन की। एक बार समुद्र से जहर निकला, सब देवी देवता डर गए कि अब दुनिया तबाह हो जाएगी। इस समस्या को लेकर सब देवी-देवता शिव के पास गए। शिव ने वह जहर पी लिया और अपने गले तक रखा, निगला नहीं, शिव का गला नीला हो गया और उन्हें नीलकंठ का नाम दिया गया। शिव ने दुनिया को बचा लिया, शिवरात्रि इसलिए भी मनाई जाती है।

पुराणों में और भी कथाएं मिलती हैं जो कि शिव की महिमा का वर्णन करती है परन्तु सारांश यह है कि शिवरात्रि भारत में सब जगह फाल्गुन के महीने में मनाई जाती है। हर जगह हरियाली होती है। सर्दी का मौसम समाप्त होता है। धरती फिर से फूलों में समाने लगती है।

सारे भारत में शिवलिंग की पूजा होती है जो कि रचना की प्रतीक है। काशी के विश्वनाथ मन्दिर में शिवलिंग को "ज्ञान का स्तम्भ" के रूप में दिखाया गया है। शिव को बुद्धिमता और प्रकाश का प्रतीक माना गया है। वह दुनिया का रचयिता है।

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